* Writing in Books
* Coloring in Books
* Paste turned pages
* Treatment for books that need mending
* Tape, love, care of needed books
READING PROMOTION WEEK-2025
EVENT: - UNDER PM SHRI SCHOOLS ACTIVITY/ PARTICIPATION: CLASS I TO CLASS VIII (Estimated Dates)👉https://ndl.education.gov.in/language-books
💁अंग्रेजी की पुस्तके पढ़ने के लिए दिए गए लिंक पर क्लीक करें -
👉 https://ndl.education.gov.in/language-books
राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय, शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग द्वारा शुरू की गई एक अभिनव परियोजना है। यह एक निःशुल्क डिजिटल पुस्तकालय के रूप में कार्य करता है और भारत के युवा मस्तिष्कों के लिए विशेष रूप से तैयार ज्ञान और कहानियों के राष्ट्रीय भंडार के रूप में कार्य करता है।
इस डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म का उद्देश्य पढ़ने की संस्कृति को बढ़ावा देना और युवाओं में अपनी विरासत और उपलब्धियों के प्रति गर्व और जिज्ञासा की भावना को बढ़ावा देना है। इसका उद्देश्य आने वाली पीढ़ियों के लिए ज्ञान का एक केंद्रीय स्रोत बनना भी है।
राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय गुणवत्तापूर्ण पुस्तकों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करता है जो किसी भी स्थान, भाषा, शैली या स्तर की परवाह किए बिना उपलब्ध हैं और विभिन्न उपकरणों पर उपलब्ध हैं। पुस्तकालय को चार आयु-विशिष्ट श्रेणियों में विभाजित किया गया है: 3-8, 8-11, 11-14, और 14+ वर्ष, जिसमें कथा साहित्य, गैर-कथा साहित्य, जीवनी, कविता, क्लासिक्स, कॉमिक्स और उपन्यास जैसी गैर-शैक्षणिक पुस्तकों का विविध संग्रह है। यह संग्रह भारतीय इतिहास, संस्कृति, वैज्ञानिक प्रगति और राष्ट्र की पहचान के अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित है।
राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय एप्लिकेशन वेब, एंड्रॉइड और आईओएस उपयोगकर्ताओं के लिए उपलब्ध होगा। इसमें साहसिक, रहस्य, हास्य, साहित्य, कथा साहित्य, क्लासिक्स, नॉन-फिक्शन, स्व-सहायता, इतिहास, आत्मकथाएँ, कॉमिक्स, चित्र पुस्तकें, विज्ञान और कविता जैसी विविध विधाएँ शामिल होंगी। इसकी सामग्री 'वसुधैव कुटुम्बकम' या 'विश्व एक परिवार है' की अवधारणा के अनुरूप सांस्कृतिक जागरूकता, राष्ट्रीय गौरव और सहानुभूति को बढ़ावा देने के लिए तैयार की गई है।
एक अद्वितीय डिजिटल पुस्तकालय के रूप में, राष्ट्रीय ई-पुस्तकालय भारत के बच्चों और किशोरों में पढ़ने के प्रति आजीवन जुनून को पोषित करने के लिए समर्पित है। यह 45 से अधिक प्रतिष्ठित प्रकाशकों की 3,000 से अधिक गैर-शैक्षणिक पुस्तकों तक पहुँच प्रदान करता है, जो अंग्रेजी सहित 22 से अधिक भाषाओं में उपलब्ध हैं। यह पहल 3-8, 8-11, 11-14 और 14+ आयु वर्ग के पाठकों के लिए पुस्तकों को वर्गीकृत करके राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 का समर्थन करती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि गुणवत्तापूर्ण साहित्य भौगोलिक, भाषाई और सुगम्यता की बाधाओं को पार करते हुए सभी के लिए उपलब्ध हो।
दियासलाई पुस्तक का विस्तृत सारांश
📘 पुस्तक
का सारांश-
सत्यार्थी
ने 1981 से अब
तक सवा लाख से अधिक बच्चों को बाल मजदूरी और गुलामी से मुक्त कराया। 1998 में
उन्होंने 'बालश्रम
विरोधी विश्वयात्रा' का
आयोजन किया, जो 103 देशों
से होकर गुज़री और लगभग छह महीने चली। इस यात्रा ने बाल मजदूरी के खिलाफ
अंतरराष्ट्रीय कानून बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके बाद उन्होंने 'ग्लोबल
कैंपेन फॉर एजुकेशन' की
शुरुआत की, जिससे
शिक्षा को मौलिक अधिकार बनाने के लिए 2001 में 'शिक्षा का अधिकार कानून' अस्तित्व
में आया।
2017 में उन्होंने बाल यौन शोषण और तस्करी के खिलाफ 11,000 किलोमीटर
लंबी 'भारत
यात्रा' की, जिससे
यौन अपराधों के लिए सख्त कानून बनाने में मदद मिली। सत्यार्थी ने बाल अधिकारों के
लिए कई मार्च आयोजित किए और बच्चों के पुनर्वास, शिक्षा और नेतृत्व निर्माण के लिए मुक्ति आश्रम, बाल
आश्रम और बालिका आश्रमों की स्थापना की।
कैलाश सत्यार्थी की आत्मकथा "Diyasalai" उनके जीवन की प्रेरणादायक यात्रा को दर्शाती है, जिसमें उन्होंने बाल श्रम के खिलाफ संघर्ष करते हुए लाखों बच्चों को आज़ादी दिलाई। यह पुस्तक न केवल उनके व्यक्तिगत अनुभवों को उजागर करती है, बल्कि सामाजिक बदलाव की आवश्यकता और उसके लिए उठाए गए कदमों को भी विस्तार से प्रस्तुत करती है।
प्रमुख विषयवस्तु:-
• बचपन की स्मृतियाँ और मूल्यों की नींवशैली और प्रस्तुति:- पुस्तक भावनात्मक, प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक शैली में लिखी गई है। सत्यार्थी जी ने अपने अनुभवों को सरल भाषा में साझा किया है, जिससे पाठक उनके संघर्षों से जुड़ पाते हैं।
दियासलाई' का प्रतीकात्मक अर्थ:- 'दियासलाई' शब्द का अर्थ है माचिस की तीली, जो अंधकार में एक छोटी सी चिंगारी की तरह होती है, लेकिन वह अंधेरे को दूर करने की क्षमता रखती है। सत्यार्थी का मानना है कि हर व्यक्ति में समाज में बदलाव लाने की क्षमता है, और हमें उस चिंगारी को पहचानकर उसे प्रज्वलित करना चाहिए।
सत्यार्थी का दृष्टिकोण:- सत्यार्थी का कहना है कि "दूसरों की तकलीफों और समस्याओं के समाधान के लिए चुने गए या सक्षम लोग उन समस्याओं से जूझ रहे लोगों को अपनी तरह मानें या उन तकलीफों को दूर करें..." वे मानते हैं कि सहानुभूति एक लोकतांत्रिक मूल्य है, जो सक्रिय भागीदारी की मांग करता है।
पुस्तक की चर्चा और विमोचन:- पुस्तक
का विमोचन जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 में हुआ, जहाँ कैलाश सत्यार्थी ने अपने जीवन के संघर्ष और समाज
में बदलाव की आवश्यकता पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि एक बार कैसे तथाकथित
अछूत महिला के हाथों से खाना खाने पर उन्हें उनके ही समाज ने बहिष्कृत कर दिया और
उन्हें एक छोटे से कमरे में परिवार से अलग अकेले वक्त बिताना पड़ा। उस प्रकरण के
बाद ही उन्होंने अपना जातीय उपनाम शर्मा हटाने का फैसला किया और 'सत्यार्थी' नाम
अपनाया, जिसका
अर्थ है 'सत्य
का रक्षक'
पुस्तक के कुछ प्रेरणादायक उद्धरण-
"Teachers should be the best mind in the country." - Dr. Sarvepalli Radhakrishnan
Dr. Sarvepalli Radhakrishnan: He was a philosopher, scholar, author, Bharat Ratna awardee and the the second President of India— was born on this day in 1888.. His birthday is celebrated as Teachers' Day since 1962, across the country.
💁 शिक्षक दिवस पर आधारित प्रश्नोत्तरी में भाग लेने हेतु दिए गए लिंक पर क्लिक करें।Interesting Facts about Dr. Sarvepalli Radhakrishnan on Teachers Day
Source:-https://www.jagranjosh.com/general-knowledge/dr-sarvepalli-radhakrishnan-interesting-facts-1567665761-1
स्वतंत्रता दिवस पर आधारित प्रश्नोत्तरी में भाग लेने हेतु दिए गए लिंक पर क्लिक करें।
प्रश्नोत्तरी में भाग लेने पर आपको डिजिटल प्रमाण-पत्र दिए गए ई-मेल पर भेज दिया जाएगा।
👉https://forms.gle/zMZMHGEBmWpd1KfaA
💁 LIBRARY, PM SHRI K.V. ALWAR is organizing an online Quiz on "Independence Day 2025". On the Occasion of our National Festival, Library PM SHRI K.V. ALWAR is conducting a quiz to check yourself how much you really know about struggle for Independence.
August 12th is being celebrated as
National Librarians’ Day in India, in remembrance of birthday of national
professor of library science, Padmashree Dr. S. R. Ranganathan (1892-1972), who
had spearheaded library development in India.
💁 Library PM SHRI KV ALWAR is
organizing a Quiz on 'Libraries'. Every Question has four options and contains
one mark each.
Click on link given below to Participate in online Quiz on Libraries👉 https://forms.gle/XQCKFEU148mPGocw5
GLIMPSES
BIOGRAPHY:-Dr. S.R. Ranganatan (1892 1972)
👉Birth:- Shiyali in Tanjavoor (Tamilnadu) on 09th August,1892.
👉Family Status:- Married in 1907 with Rukmini. but she died in an accident
on 13 November 1928. Ranganathan married again in 1929 to Sarada in December
1929. Ranganathan was blessed with only one son, Shri R. Yogeswar, born in
1932.
👉Education:-Ranganathan attended the S.M. Hindu High School at Shiyali and
passed Matriculation examination in 1908/1909. Ranganathan passed the
examination in First Class. Ranganathan passed B.A. with a first class in
March/April 1913. In June. Ranganathan passed M.A. in 1916 and he wanted to be
a teacher in Mathematics.
👉Profession:-Appointed as a subordinate education service and worked as
Assistant Lecture in Govt. College (Mangalore & Coimbatore),
1917. Between 1917 and 1921. In July 1921, joined the Presidency College,
Madras as Assistant Professor of Mathematics. The first Librarian of
Madras University-January, 1924.
Literature and Books on
‘Library Science’
1.Five Laws of Library Science (1931).
2. Colon Classification (1933).
3.Classified Catalogue Code (1934).
4.Principal of Library Management.
Five Laws of Library
Science’ (1931).
1.Books are for
use.
2.Every reader his/her books.
3.Every books its reader.
4.Save the time of reader.
5.Library is a growing organism.
Death:- 27th September, 1972 after a fruitful 80
years of his life.