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Independence Day Celebration (15 August, 2025)

 

स्वतंत्रता दिवस पर आधारित प्रश्नोत्तरी में भाग लेने हेतु दिए गए लिंक पर क्लिक करें। 

प्रश्नोत्तरी में भाग लेने पर आपको डिजिटल प्रमाण-पत्र दिए गए ई-मेल पर भेज दिया जाएगा।

👉https://forms.gle/zMZMHGEBmWpd1KfaA

💁 LIBRARY, PM SHRI K.V. ALWAR is organizing an online Quiz on "Independence Day 2025". On the Occasion of our National Festival, Library PM SHRI K.V. ALWAR is conducting a quiz to check yourself how much you really know about struggle for Independence.

National Librarians' Day (12 August 2025)

August 12th is being celebrated as National Librarians’ Day in India, in remembrance of birthday of national professor of library science, Padmashree Dr. S. R. Ranganathan (1892-1972), who had spearheaded library development in India.

💁 Library PM SHRI KV ALWAR is organizing a Quiz on 'Libraries'. Every Question has four options and contains one mark each.

Click on link given below to Participate in online Quiz on Libraries👉 https://forms.gle/XQCKFEU148mPGocw5

GLIMPSES


BIOGRAPHY:-Dr. S.R. Ranganatan (1892 1972)

👉Birth:- Shiyali in Tanjavoor (Tamilnadu) on 09th August,1892.

👉Family Status:- Married in 1907 with Rukmini. but she died in an accident on 13 November 1928. Ranganathan married again in 1929 to Sarada in December 1929. Ranganathan was blessed with only one son, Shri R. Yogeswar, born in 1932.

👉Education:-Ranganathan attended the S.M. Hindu High School at Shiyali and passed Matriculation examination in 1908/1909. Ranganathan passed the examination in First Class. Ranganathan passed B.A. with a first class in March/April 1913. In June. Ranganathan passed M.A. in 1916 and he wanted to be a teacher in Mathematics.

👉Profession:-Appointed as a subordinate education service and worked as Assistant Lecture in Govt. College (Mangalore & Coimbatore), 1917. Between 1917 and 1921. In July 1921, joined the Presidency College, Madras as Assistant Professor of Mathematics. The first Librarian of Madras University-January, 1924. 


Literature and Books on ‘Library Science’
1.Five Laws of Library Science (1931).
2. Colon Classification (1933).
3.Classified Catalogue Code (1934).
4.Principal of Library Management.


Five Laws of Library Science’ (1931).

1.Books are for use.
2.Every reader his/her books.
3.Every books its reader.
4.Save the time of reader.
5.Library is a growing organism.

Death:- 27th September, 1972 after a fruitful 80 years of his life.

मुंशी प्रेमचंद जयंती

प्रेमचंद आधुनिक हिंदी कहानी के पितामह और उपन्यास सम्राट माने जाते हैं

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई 1880 को वाराणसी जिले उत्तर प्रदेश के लमही गांव में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम आनंदी देवी तथा पिता का नाम मुंशी अजायब राय था जो लमही में डाकमुंशी थे | प्रेमचंद जी की आरंभिक शिक्षा फारसी में हुई थी। जब वे 7 साल के थे ,तभी उनकी माता का स्वर्गवास हो गया| जब 15 साल के हुए तब उनकी शादी कर दी गई और 16 साल के होने पर उनके पिता का भी देहांत हो गया। इसके कारण उनका प्रारंभिक जीवन बहुत ही संघर्षमय था। प्रेमचंद जी को बचपन से ही पढ़ने में बहुत रुचि थी। 13 साल की उम्र में ही उन्होंने तिलिस्म -ए -होशरूबा पढ़ लिया और उन्होंने उर्दू के मशहूर रचनाकार रतननाथ शरसार ,मिर्जा हादी रसवा और मौलाना शरर के उपन्यासों से परिचय प्राप्त कर लिया। प्रेमचंद जी के साहित्यिक जीवन का आरंभ 1901 से हो चुका था । प्रेमचंद जी हिंदी और उर्दू के सर्वाधिक लोकप्रिय उपन्यासकार ,कहानीकार एवं विचारक थे। उन्होंने सेवा सदन, प्रेमाश्रम, रंगभूमि, निर्मला, गबन, कर्म भूमि, गोदान आदि लगभग डेढ़ दर्जन उपन्यास तथा कफन, पूस की रात, पंच परमेश्वर, बड़े घर की बेटी, बूढ़ी काकी, दो बैलों की कथा, आदि 300 से अधिक कहानियां लिखीं। 1933 में अपने ऋण को पटाने के लिए उन्होंने मोहनलाल भवनानी के सीनेटोन कंपनी में कहानी लेखक के रूप में काम करने का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। फिल्म नगरी प्रेमचंद जी को रास नहीं आई। 1 वर्ष का अनुबंध भी पूरा नहीं कर सके और 2 महीने का वेतन छोड़कर बनारस लौट आए । उनका स्वास्थ्य निरंतर बिगड़ता गया। लंबी बीमारी के बाद 8 अक्टूबर 1936 को उनका निधन हो गया। उन्होंने अपने दौर की सभी प्रमुख उर्दू और हिंदी पत्रिकाएं “जमाना “,”सरस्वती “,”माधुरी”,”मर्यादा”, “चांद” , “सुधा” आदि में लिखा। उन्होंने हिंदी समाचार पत्र “जागरण “तथा साहित्यिक पत्रिका “हंस’ का संपादन और प्रकाशन भी किया |इसके लिए उन्होंने सरस्वती प्रेस खरीदा जो बाद में घाटे में रहा और बंद करना पड़ा। प्रेमचंद जी फिल्मों की पटकथा लिखने मुंबई आए और लगभग 3 वर्ष तक रहे जीवन के अंतिम दिनों तक वे साहित्य सृजन में लगे रहे | “महाजनी सभ्यता “उनका अंतिम निबंध “साहित्य का उद्देश्य “अंतिम व्याख्यान “कफन” अंतिम कहानी “गोदान” अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा “मंगलसूत्र” अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।

  संदर्भ स्त्रोत :-

World Book Day (23, April 2025)

23 अप्रैल, विश्व पुस्तक दिवस: किताबों का सुंदर सजीला संसार
आज 23 अप्रैल, 2025 को पुस्तकालय, पीएम श्री के.वि. अलवर द्वारा विश्व पुस्तक दिवस (World Book Day) का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर आपको स्टडी मेटेरियल के साथ एक क्विज़ भी भेजी जा रही है। इस क्विज़ में भाग लेने वाले सभी सहभागियों को डिजिटल सर्टिफिकेट आपके द्वारा भरे गए ई-मेल पर भेज दिया जाएगा।

💁 विश्व पुस्तक दिवस प्रश्नोत्तरी में भाग लेने हेतु दिए गए लिंक पर क्लिक करें। डिजिटल प्रमाण-पत्र दिए गए ई-मेल पर भेज दिया जाएगा।

23 अप्रैल 1564 को एक ऐसे लेखक ने दुनिया को अलविदा कहा थाजिनकी कृतियों का विश्व की समस्त भाषाओं में अनुवाद हुआ। यह लेखक था शेक्सपीयर। जिसने अपने जीवन काल में करीब 35 नाटक और 200 से अधिक कविताएँ लिखीं। साहित्य-जगत में शेक्सपीयर को जो स्थान प्राप्त है उसी को देखते हुए यूनेस्को ने 1995 से और भारत सरकार ने 2001 से इस दिन को विश्व पुस्तक दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की।

'विश्व पुस्तक दिवसप्रत्येक वर्ष 23 अप्रैल को मनाया जाता है। इसे विश्व पुस्तक एवं कॉपीराइट दिवस के नाम से भी जाना जाता है। इस दिवस का आयोजन संयुक्त राष्ट्र के शैक्षिक संगठनयूनेस्को (UNESCO) द्वारा किया जाता है। विश्व पुस्तक दिवस का आयोजन सर्वप्रथम 23 अप्रैल, 1995 मेँ किया गया था। 

पुस्तकें मनुष्य की सच्ची मित्र होती है। पुस्तकों से ही विकास का मार्ग प्रशस्त होता है।पुस्तकें ज्ञान का भण्डार होती हैं। पुस्तकों से अच्छी शिक्षा ग्रहण करके जीवन को सफल बनाया जा सकता है।केवल विद्यार्थी ही नहीं वरन प्रत्येक मनुष्य को अच्छी पुस्तकें पढ़ने से लाभ प्राप्त होता है।पुस्तकों से हमारा ज्ञानतर्कशक्ति  बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।

विश्व पुस्तक दिवस पर सार्वजनिक पुस्तकालय में पुस्तक प्रदर्शनी तथा पुस्तकों के महत्व पर परिचर्चा सहित विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर पुस्तक से संबंधित अनेकानेक गतिविधियां होती हैं। जगह-जगह पुस्तकों के महत्व पर विस्तार से विचार-विमर्श किया जाता है और पुस्तकों के महत्व  उपयोगिता की ज्ञानवर्धक जानकारी दी जाती है। इस दिवस पर अनेक विद्यालयों मेँ पुस्तकों पर आधारित प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी किया जाता है।

इतिहास
पहला विश्व पुस्तक दिवस 23 अप्रैल, 1995 को मनाया गया था। यूनेस्को ने यही तारीख तय की थी। इस तारीख के साथ खास बात यह है कि विलियम शेक्सपीयर समेत कई महान लेखकों की पुण्यतिथि और पैदाइश की सालगिरह है। विलियम शेक्सपीयर का निधन 23 अप्रैल, 1616 को हुआ था। स्पेन के विख्यात लेखकत मिगेल डे सरवांटिस (Miguel de Cervantes) का निधन भी इसी दिन हुआ था।

23 अप्रैल को ही क्यों?
इसे 23 अप्रैल को मनाने का विचार स्पेन की एक परंपरा से आया। स्पेन में हर साल 23 अप्रैल को 'रोज डे' मनाया जाता है। इस दिन लोग प्यार के इजहार के तौर पर एक-दूसरे को फूल देते हैं। 1926 में जब मिगेल डे सरवांटिस का निधन हुआ तो उस साल स्पेन के लोगों ने महान लेखक की याद में फूल की जगह किताबें बांटीं। स्पेन में यह परंपरा जारी रही जिससे विश्व पुस्तक दिवस मनाने का आइडिया आया।
सन्दर्भ स्त्रोत - https://navbharattimes.indiatimes.com/education/gk-update/why-world-book-day-is-celebrated-on-23-april/articleshow/69004265.cms

💁 IMPORTANCE OF READING

Ø Takes you to a world of “Dream”.
Ø Keeps you updated with facts & figures.
Ø It gives you a wonderful experience that you are in an Intellectual Environment.
Ø Travel around the world in the easiest way.
Ø Develops your Personality.
Ø Provide food for thoughts.
Ø It satisfies your curiosity & make more confident.
Ø It makes you creative.
Ø It doesn’t require any special device.
Ø It doesn't require company.
Ø It builds your self-esteem.
Ø Spreads knowledge, information & emotional strength.
Ø Acts as a communication tool.
Ø It can change your life and vision.

Ambedkar Jayanti Celebration (14/04/2025)

डॉ भीम राव आंबेडकर का जीवन परिचय - Life Sketch of Dr. Bhimrao Ambedkar

14 अप्रैल 2025 को देश 'भारत रत्न' 'संविधान निर्माता' बाबा साहेब डॉ. भीमराव आंबेडकर की 135 वीं जयंती मनाएगा एक सामाजिक-राजनीतिक सुधारक के रूप में आंबेडकर की विरासत का आधुनिक भारत पर गहरा असर हुआ है। भारत के सामाजिक, आर्थिक नीतियों और कानूनी ढांचों में अगर आज कहीं भी प्रगतिशील बदलाव दिख रहे हैं तो इसके पीछे कहीं न कहीं आंबेडकर के वो विचार हैं जो उन्होंने 60 से 75 साल पहले दिए। कहने में कोई गुरेज नहीं कि डॉ. आंबेडकर के वे विचार आज भी प्रासंगिक हैं

👉 डॉ. भीम राव अम्बेडकर  के जीवन पर आधारित प्रश्नोंत्तरी  में भाग लेने हेतु दिए गए लिंक पर क्लिक करें https://forms.gle/6NFXxo9NV2Jj8EBE7

👉 डॉ भीमराव अम्बेडकर से जुड़ी कुछ रोचक जानकारियाँ

*जन्म- भारत प्रांत (अब मध्य प्रदेश में) सैन्य छावनी “महू” में एक मराठी परिवार में हुआ था। वह रामजी मालोजी (ब्रिटिश सेना में सूबेदार) और भीमाबाई की 14 वीं संतान थे।
* भीमराव अम्बेडकर हिंदू “महार” जाति से संबंध रखते थे, जिसे समाज में अछूत जाति कहा जाता था। बचपन से ही भीमराव गौतम बुद्ध की शिक्षा से प्रभावित थे। पढ़ाई में सक्षम होने के बावजूद अनुसूचित जाति से संबंधित होने के कारण उन्हें सामाजिक प्रतिरोध का सामना करना पड़ता था। 
* वर्ष 1897 में, भीमराव अपने परिवार साथ मुंबई चले गए और वहां एल्फिंस्टन हाई स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। जहां अम्बेडकर एक मात्र अस्पृश्य छात्र थे।
* अप्रैल 1906 में, जब वह 15 वर्ष के थे, तब उनका विवाह नौ वर्ष की लड़की रमाबाई से हुआ।
* वर्ष 1907 में, उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण की और अगले वर्ष एल्फिंस्टन कॉलेज में प्रवेश किया, जो कि बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबंधित था और ऐसा करने वाले वह पहले अस्पृश्य छात्र बने। 
* वर्ष 1913 में, उन्हें सयाजीराव गायकवाड़ तृतीय (बड़ौदा के गायकवाड़) द्वारा स्थापित एक योजना के तहत न्यूयॉर्क स्थित कोलंबिया विश्वविद्यालय में स्नातकोत्तर शिक्षा के अवसर प्रदान करने हेतू तीन साल के लिए ₹755 प्रति माह बड़ौदा राज्य की छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। जिसके चलते 22 साल की उम्र में वह संयुक्त राज्य अमेरिका चले गए।
* भीमराव अम्बेडकर जॉन डेवी के लोकतंत्र निर्माण कार्य से काफी प्रभावित थे।  9 मई को, उन्होंने मानव विज्ञानी अलेक्जेंडर गोल्डनवेइज़र द्वारा आयोजित एक सेमिनार में “भारत में जातियां: प्रणाली, उत्पत्ति और विकास” पर एक लेख प्रस्तुत किया, जो उनका पहला प्रकाशित कार्य था। 
* अक्टूबर 1916 में, डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर लंदन चले गए और वहाँ “ग्रेज़ इन” में बैरिस्टर कोर्स (विधि अध्ययन) के लिए दाखिला लिया और साथ ही लंदन स्कूल ऑफ़ इकोनॉमिक्स में दाखिला लिया। जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की डॉक्टरेट थीसिस पर काम करना शुरू किया। जून 1917 में, वह अपना अध्ययन अस्थायी रूप से बीच में ही छोड़ कर भारत लौट आए।
* भारत लौटने पर भीमराव बड़ौदा राज्य के सेना सचिव के रूप में कार्य करने के लगे। जहां कुछ दिन बाद उन्हें पुनः भेदभाव का सामना करना पड़ा। अंत में, बाबा साहेब ने नौकरी छोड़ दी और एक निजी ट्यूटर और एक लेखाकार के रूप में काम करने लगे।
* वर्ष 1918 में, वह मुंबई में सिडेनहम कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स में राजनीतिक अर्थव्यवस्था (Political Economy) के प्रोफेसर बने। जहां उनका अन्य प्रोफेसरों के साथ पानी पीने के जॉग को साझा करने पर विरोध किया गया।
* भारत सरकार अधिनियम 1919 को तैयार कर रही “साउथबरो समिति” के समक्ष जब भीमराव अम्बेडकर को गवाही देने के लिए आमंत्रित किया गया। तब अम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिए पृथक निर्वाचिका (separate electorates) और आरक्षण देने की वकालत की।
* वर्ष 1920 में, उन्होंने मुंबई में साप्ताहिक “मूकनायक” के प्रकाशन का कार्य शुरू किया। जिसका इस्तेमाल अम्बेडकर रूढ़िवादी हिंदू राजनेताओं व जातीय भेदभाव से लड़ने के प्रति भारतीय राजनैतिक समुदाय की अनिच्छा की आलोचना करने के लिए करते थे।
* बॉम्बे हाईकोर्ट में कानून की प्रैक्टीस करते हुए, उन्होंने अस्पृश्यों की शिक्षा को बढ़ावा दिया। उनका पहला संगठित प्रयास “बहिष्कृत हितकारिणी सभा” की स्थापना की, जिसका उद्देश्य शिक्षा और सामाजिक-आर्थिक सुधार को बढ़ावा देना था। 
* वर्ष 1930 में, भीमराव अम्बेडकर ने कालाराम मंदिर सत्याग्रह को शुरू किया। जिसमें लगभग 15,000 स्वयंसेवको ने प्रतिभाग लिया था। यही-नहीं इस आंदोलन में जुलूस का नेतृत्व एक सैन्य बैंड ने किया था और उसमें एक स्काउट्स का बैच भी शामिल था। पहली बार पुरुष और महिलाएं भगवान का दर्शन अनुशासन में कर रहे थे। जब सभी आंदोलनकारी मंदिर के गेट तक पहुंचे, तो उन्हें गेट पर खड़े ब्राह्मण अधिकारियों द्वारा गेट बंद कर दिया गया। विरोध प्रदर्शन उग्र होने पर गेट को खोल दिया गया। जिसके परिणामस्वरूप दलितों को मंदिर में प्रवेश की इजाजत मिलने लगी। 
* वर्ष 1932 में, जब ब्रिटिशों ने अम्बेडकर के साथ सहमति व्यक्त करते हुए, अछूतों को “पृथक निर्वाचिका” देने की घोषणा की, तब महात्मा गांधी ने इसका विरोध करते हुए, पुणे की यरवदा सेंट्रल जेल में आमरण अनशन शुरु किया।
* वर्ष 1936 में, भीमराव अम्बेडकर ने “स्वतंत्र लेबर पार्टी” की स्थापना की, जिसने वर्ष 1937 में केन्द्रीय विधान सभा चुनावों मे 15 सीटें जीती थी।
* वर्ष 1941 और 1945 के बीच में उन्होंने बड़ी संख्या में बहुत सी विवादास्पद पुस्तकें और पर्चे प्रकाशित किए, जिनमे “थॉट्स ऑन पाकिस्तान” भी शामिल है। जिसमें वह मुस्लिम लीग के मुसलमानों के लिए एक अलग देश पाकिस्तान की मांग की आलोचना करते हैं। भीमराव अम्बेडकर इस्लाम और दक्षिण एशिया के रीतियों के भी बड़े आलोचक थे। उन्होने भारत विभाजन का तो पक्ष लिया, परन्तु मुस्लिमो में व्याप्त बाल विवाह की प्रथा और महिलाओं के साथ होने वाले दुर्व्यवहार की घोर निंदा की।
* 15 अगस्त 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद, कांग्रेस के नेतृत्व वाली नई सरकार जब अस्तित्व मे आई तब उन्होंने भीमराव अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री के रूप में सेवा करने के लिए आमंत्रित किया।
* उसके बाद अम्बेडकर के द्वारा तैयार किए गए संविधान में व्यक्तिगत नागरिक स्वतंत्रता की संवैधानिक गारंटी और सुरक्षा प्रदान की गई है, जिसमें धर्म की आजादी, अस्पृश्यता को खत्म करना, और भेदभाव के सभी रूपों का उल्लंघन करना शामिल है। इसके अलावा उन्होंने महिलाओं के लिए व्यापक आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के लिए तर्क दिया और अनुसूचित जातियों (एससी) और अनुसूचित जनजातियों (एसटी) और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्यों के लिए नागरिक सेवाओं, स्कूलों और कॉलेजों में नौकरियों के आरक्षण की व्यवस्था शुरू करने के लिए असेंबली का समर्थन जीता जो एक सकारात्मक कार्रवाई थी। 
*स्वतंत्र भारत में जब राष्ट्रीय ध्वज पर विचार विमर्श किया जा रहा था, वह भीमराव अम्बेडकर “सविंधान ड्राफ्टिंग कमेटी” के अध्यक्ष ही थे। जिन्होंने राष्ट्रीय ध्वज में अशोक चक्र का सुझाव दिया था। उन्हीं की बदौलत आज तिरंगे में अशोक चक्र प्रदर्शित होता है।
* अम्बेडकर ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 का विरोध किया, जिसमें जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा दिया गया था और उनकी इच्छाओं के खिलाफ संविधान में शामिल किया गया था।
* भीमराव अम्बेडकर के दूसरे शोध ग्रंथ ‘ब्रिटिश भारत में प्रांतीय वित्त का विकास’ के आधार पर देश में वित्त आयोग की स्थापना हुई।
* उन्होंने अर्थशास्त्र पर तीन पुस्तकें लिखीं: एडमिनिस्ट्रेशन एंड फाइनेंस ऑफ दी इस्ट इंडिया कंपनी, द इव्हॅल्युएशन ऑफ प्रोविंशियल फाइनेंस इन ब्रिटिश इंडिया, द प्रॉब्लम ऑफ़ द रूपी : इट्स ओरिजिन एंड इट्स सोल्युशन।
* वर्ष 1950 के दशक में भीमराव अम्बेडकर बौद्ध धर्म के प्रति आकर्षित हुए और बौद्ध भिक्षुओं के सम्मेलनों में भाग लेने के लिए श्रीलंका (तब सिलोन) गए। और 14 अक्टूबर 1956 को नागपुर शहर में डॉ॰ भीमराव अम्बेडकर ने स्वयं और अपने समर्थकों के लिए एक औपचारिक सार्वजनिक धर्मांतरण समारोह का आयोजन किया। जिसमें सबसे पहले डॉ॰ अम्बेडकर ने अपनी पत्नी सविता एवं कुछ सहयोगियों के साथ भिक्षु महास्थवीर चंद्रमणी द्वारा पारंपरिक तरीके से त्रिरत्न और पंचशील को अपनाते हुए बौद्ध धर्म ग्रहण किया।
* 6 दिसम्बर 1956 को, अम्बेडकर का मधुमेह की लम्बी बीमारी से मृत्यु (महापरिनिर्वाण) दिल्ली में उनके घर में हो गई। हर साल 20 लाख से अधिक लोग उनकी जयंती (14 अप्रैल), महापरिनिर्वाण यानी पुण्यतिथि (6 दिसम्बर) और धम्मचक्र प्रवर्तन दिवस (14 अक्टूबर) को चैत्यभूमि (मुंबई), दीक्षाभूमि (नागपूर) तथा भीम जन्मभूमि (महू) में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इकट्ठे होते हैं।
* अम्बेडकर के अनुयायियों द्वारा उन्हें आदर एवं सम्मान से ‘बाबासाहब’ (मराठी: बाबासाहेब) कहा जाता है, जो एक मराठी वाक्यांश है जिसका अर्थ “पिता-साहब”, क्योंकि लाखों भारतीय उन्हें “महान मुक्तिदाता” मानते हैं।
* बाबा साहेब को सम्मान देते हुए कई सार्वजनिक संस्थानों एवं ग्यारह विश्वविद्यालयों के नाम उनके नाम पर रखे गए, जैसे कि :- डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानक्षेत्र, डॉ॰ बी॰आर॰ अम्बेडकर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान, जालंधर, अम्बेडकर विश्वविद्यालय, दिल्ली, इत्यादि शामिल है।
* भीमराव को हिस्ट्री टीवी 18 और सीएनएन आईबीएन द्वारा वर्ष 2012 में आयोजित एक चुनाव सर्वेक्षण “द ग्रेटेस्ट इंडियन” (महानतम भारतीय) में सर्वाधिक मत प्राप्त हुए थे। जिसमें लगभग 2 करोड़ मत डाले गए थे, इसके आधार पर उन्हें उस समय का सबसे लोकप्रिय भारतीय व्यक्ति माना जाने लगा।
* वर्ष 2000 में, फिल्म निर्देशक जब्बार पटेल ने बाबा साहेब के जीवन चरित्र को प्रदर्शित करते हुए, एक फिल्म बनाई जिसका शीर्षक “डॉ॰ बाबासाहेब अम्बेडकर” था। 
* 14 अप्रैल 2015 को, गुगल ने अपने होमपेज डुडल के माध्यम से अम्बेडकर के 124 वें जन्मदिन का जश्न मनाया था। यह डूडल भारत, अर्जेंटीना, चिली, आयरलैंड, पेरू, पोलैंड, स्वीडन और यूनाइटेड किंगडम में दिखाया गया था।

Source:- https://hindi.starsunfolded.com/bhimrao-ramji-ambedkar-hindi/

👉डॉ बी. आर. अम्बेडकर के विचार :
• जीवन लम्बा होने की बजाय महान होना चाहिए।

• मैं किसी समुदाय की प्रगति, महिलाओं ने जो प्रगति हांसिल की है उससे मापता हूँ।

• एक सफल क्रांति के लिए सिर्फ असंतोष का होना पर्याप्त नहीं है। जिसकी आवश्यकता है वो है न्याय एवं राजनीतिक और सामाजिक अधिकारों में गहरी आस्था।

• लोग और उनके धर्म सामाजिक मानकों द्वारा; सामजिक नैतिकता के आधार पर परखे जाने चाहिए। अगर धर्म को लोगो के भले के लिए आवशयक मान लिया जायेगा तो और किसी मानक का मतलब नहीं होगा।

• हमारे पास यह स्वतंत्रता किस लिए है ? हमारे पास ये स्वत्नत्रता इसलिए है ताकि हम अपने सामाजिक व्यवस्था, जो असमानता, भेद-भाव और अन्य चीजों से भरी है, जो हमारे मौलिक अधिकारों से टकराव में है को सुधार सकें।

• सागर में मिलकर अपनी पहचान खो देने वाली पानी की एक बूँद के विपरीत, इंसान जिस समाज में रहता है वहां अपनी पहचान नहीं खोता। इंसान का जीवन स्वतंत्र है। वो सिर्फ समाज के विकास के लिए नहीं पैदा हुआ है, बल्कि स्वयं के विकास के लिए पैदा हुआ है।

• आज  भारतीय  दो  अलग -अलग  विचारधाराओं  द्वारा  शोषित  हो  रहे  हैं . उनके  राजनीतिक  आदर्श  जो  संविधान  के  प्रस्तावना  में  इंगित  हैं  वो  स्वतंत्रता  , समानता , और  भाई -चारे को  स्थापित  करते  हैं . और  उनके  धर्म  में  समाहित  सामाजिक  आदर्श  इससे  इनकार  करते  हैं

• राजनीतिक  अत्याचार  सामाजिक  अत्याचार  की  तुलना  में  कुछ  भी  नहीं  है  और  एक  सुधारक  जो  समाज  को  खारिज  कर  देता  है  वो   सरकार  को  ख़ारिज  कर  देने  वाले   राजनीतिज्ञ  से  कहीं अधिक  साहसी  हैं

💁 डॉ बी. आर. अम्बेडकर का जीवन परिचय पढ़ने ले लिए दिए गए लिंक पर क्लिक करें
👉https://www.quickhindi.in/2020/04/dr-bhimrao-ambedkar-biography-in-hindi.html
👉 https://www.bharatdarshan.co.nz/magazine/article/child/170/ambedkar-biography.html
👉 https://www.1hindi.com/dr-bhimrao-ambedkar-life-history-hindi/

पुस्तकोपहार-उत्सव (Book Donation Drive 2025-26)

SAVE TREE - SAVE ENVIRONMENT - SAVE FUTURE 

पुस्तकालय प्रति वर्ष नए सत्र के प्रारम्भ में पुस्तक-उपहार-उत्सव मनाता है।
इस कार्यक्रम में छात्र-छात्राएं अपनी पिछली कक्षाओं की पाठ्य-पुस्तकें एवं अन्य पाठ्य-सामग्री, जो की अच्छी स्थिति में हो, विद्यालय पुस्तकालय में उपहार स्वरुप जमा करवा देतें हे एवं अगली कक्षाओं की पुस्तकें यदि पुस्तकालय में उपलब्ध हों तो प्राप्त करतें हैं।विद्यालय पुस्तकालय की पुस्तकोपहार योजना निः शुल्क है इसका उद्देश्य अधिक से अधिक पेड़ों को कटने से बचाना है, क्योंकि कागज पेड़ों को काटकर ही बनाये जातें हैं दूसरे शब्दों में कह सकतें हैं की पुस्तकोपहार का मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को बचाना है।
प्यारे बच्चों आप इस पुस्तक-उपहार उत्सव में अवश्य भाग लें एवं अनगिनत पेड़ों को कटने से बचाकर पर्यावरव संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दें। आप पुस्तकें विद्यालय  पुस्तकालय में समयानुसार जमा करवा सकतें हैं।

👉पुस्तकें प्राप्त करने/जमा करवाने के पश्चात् दिए लिंक द्वारा आवश्यक सूचनाएं अवश्य दें



पुस्तकोपहार-उत्सव -एक झलक 





READING PROMOTION WEEK-2024

 READING PROMOTION WEEK-2024

EVENT: - UNDER PM SHRI SCHOOLS ACTIVITY/ PARTICIPATION: CLASS I TO CLASS VIII
  • READING PROMOTION WEEK-I -(17.08.2024 TO 23.08.2024)
  • READING PROMOTION WEEK-II - (28.10.2024 TO 03.11.2024)
  • READING PROMOTION WEEK-III - (11.12.2024 TO 17.12.2024)
The Reading Promotion Week 2024 was celebrated at Library PM SHRI KV1, Alwar with great enthusiasm. The primary objective of this event was to encourage students to develop a habit of reading and to create awareness about the importance of books in shaping knowledge and personality. The week was packed with various activities aimed at enhancing reading skills and fostering a love for literature. 

Objectives of the Celebration
  • To encourage students to read more books beyond their textbooks.
  • To enhance vocabulary, comprehension, and analytical thinking skills.
  • To introduce students to different genres of literature.
  • To promote the school library and increase reading habits.
  • To create a reading culture in school.
Activities Conducted
  • Cover Page Designing Competition, Story Writing Competition, Book Mark Making Competition, Book Talk Competition, BEST READERS AWARDS, Poem Recitation, Author Biography Writing Competition, Book Review Competition, Story Telling Competition, Spell Be Competition, Read Aloud Competition, Poem Recitation, Debate Competition, General Knowledge Quiz Competition, Story Telling Competition
Impact & Outcomes
The Reading Promotion Week was a grand success, inspiring students to develop a strong reading habit and critical thinking. The enthusiastic participation and positive response from students, teachers, and parents showed the effectiveness of the initiative. Library plans to organize more such events in the future to sustain and nurture the love for books.

READING PROMOTION WEEK AT A GLANCE

TIME FOR PERIODICAL READING

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